STORYMIRROR

Anjali Singh

Classics

4  

Anjali Singh

Classics

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा

2 mins
300

चलो सुनाऊं मैं एक कथा तुम्हें

मोरमुकुट पीताम्बर धारी के बांसुरी की

सुन धुन बासूरी की गोपियां नाचन लागी 

मुरली की धुन सुन मंत्रमुग्ध होकर बरजवासी 

सब काम काज छोड़ बासुरी की धुन के पीछे भागी 


बरसाने मे राधा रानी सुन धुन बासुरी की सोचन लागे

किसकी बासुरिया मोहे मेरे मन को सुन धुन मैं मन ही

मन क्यू मुस्कुराने लागी कौन बजाए बासुरिया लागे है 

मोहे ऐसो जैसो कोई है मेरो सखा बरसाने में 


चलो सुनाऊं मैं एक कथा तुम्हें

मुरली मनोहर गिरिधारी की


छाया प्रकोप जब इंद्र देव का

ब्रज मे होने लगी घनघोर है वर्षा 

तब श्रीकृष्ण मुरली मनोहर ने बृजवासियों की

रक्षा हेतु उठा लिया गोवर्धन पर्वत को बाएं हाथ की 

कनिष्ठ उंगली पर सब बृजवासियों ने तब शरण ली

गोवर्धन पर्वत के नीचे सात दिन सात रात तक 

कृष्ण ने धारण किया था गोवर्धन पर्वत को 


देख यह दृश्य हुआ चूर फिर घमंड इंद्र देव का

हाथ जोड़कर क्षमा याचना कर बोले इंद्र देव जी

क्षमा करो मुझे गिरिवर धारी फिर ना करेंगे हम

ये भूल मुरारी अहंकार में डूब गए थे आंखें खोल

दी आप ने हमारी हम न करेंगे फिर गलती कभी ये

क्षमा करो हमे गिरिवर धारी


उस दिन के बाद से गोवर्धन पर्वत के पूजन की परंपरा आरंभ हो गई हर वर्ष होती है गोवर्धन पूजा भक्त अपनी भक्ति अर्पण करते परिक्रमा कर गोवर्धन पर्वत की


पंडित आचार्य सुनाते हैं पौराणिक कथा यही

 केशव,माधव,मुरली मनोहर की छिपा हुआ है

 ज्ञान इन पौराणिक कथाओं में सुन कर तुम जरा

 अर्थ है समझो देंगी ये कथाएं ज्ञान कई तुम्हे।

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics