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Usha Gupta

Classics

4  

Usha Gupta

Classics

चले हनुमन्त खोज में मैया की

चले हनुमन्त खोज में मैया की

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ले नाम श्री राम का,

चले हनुमन्त करने खोज सीता मैया की,

दक्षिण दिशा की ओर; था करना पार विशाल समुद्र,

रोका पर्वत मैनाक ने करने को तनिक विश्राम,

हनुमन्त करें कैसे विश्राम किये बिना पूर्ण राम काज,

क्षमा मांग; कर प्रणाम उड़ चले आगे,

ले नाम श्री राम का।


रोक लिया राक्षसी सुरसा ने,

बनाने को हनुमन्त को ग्रास अपना,

हनुमान हो जाते बड़े दोगुना मुँह के आकार से उसके,

बढ़ाया आकार बहुत जब सुरसा ने,

हनुमन्त हो बहुत छोटे घुस मुँह में निकले बाहर,

किया प्रणाम पाया आर्शीवाद बढ़ चले आगे,

ले नाम श्री राम का।


पहुँचे लंका धर रूप मच्छर का,

रोका लंकिनी ने तो मारा घूँसा,

ले आर्शीवाद लंकिनी का प्रवेश किया लंका में,

घूम लिया सम्पूर्ण महल रावण का,

मिली न कहीं मैया सीता, बढ़ चले आगे,

 ले नाम श्री राम का।


दिखा महल सुन्दर था अंकित राम नाम उस पर,

धर रूप ब्राह्मण का खड़े हुये हनुमान,

आये बाहर विभीषण, दिया परिचय अपना, 

लिया परिचय हनुमान का, पूछा हनुमन्त ने पता मैया का,

बताया विभीषण नें; हैं अशोक वाटिका में सीता,

चल पड़े हनुमन्त ले नाम श्री राम का।


पहुँच वाटिका छुप बैठे पेड़ पर,

खड़ा था रावण पत्नी मंदोदरी के साथ,

अस्वीकार दिया कर सीता ने प्रस्ताव,

पत्नी बनने का उसकी; खिसियाया रावण,

दी धमकी मारने की एक माह के अन्दर,

लेती रहीं सीता नाम श्री राम का।


डाली अँगूठी राम की हनुमन्त ने सीता के पास,

बोलते रहे कथा श्री राम की,

प्रसन्न हुईं मैया बुलाया पास हनुमान को,

सुनाई कथा हनुमन्त ने राम मिलन की,

हुईं प्रफुल्लित सीता सुन नाम राम का,

लेती रहीं सीता नाम श्री राम का।


लगी थी भूख हनुमन्त को, ले आज्ञा माँ से चले खाने फल,

कुछ खाये फल, कुछ उजाड़े पेड़, की पिटाई कुछ रखवालों की,

मारा गया अक्षय कुमार पुत्र रावण का, आया फिर अति बलवान मेघनाथ,

पुत्र रावण का, हुआ युद्ध घमासान, न आये वश में हनुमान,

चलाया ब्रह्म अस्त्र; बाँध नागपाश में हुनुमान को, ले चले मेघनाथ,

लेते रहे हनुमन्त नाम श्री राम का।


लाये गये हनुमान विशाल दरबार में रावण के,

कर विचार विमर्श रावण ने दी आज्ञा,

लगाने की आग वानर की पूँछ में,

किया खेल हनुमान ने बढ़ाते गये पूँछ,

 हुआ समाप्त तेल और कपड़ा लंका में, लगाई आग पूँछ में,

कूदे पूरी लंका में हनुमान, जल पड़ा लंका धू-धू कर,

लेते रहे हनुमन्त नाम श्री राम का।


कूद समुद्र में बुझा आग गये मैया के पास,

माँगी निशानी देने के लिये प्रभु श्री राम को,

दी चूड़ामणि मैया ने हनुमान को और दिया संदेश,

राम न पायेंगें जीवित सीता को यदि

आये न लेने एक माह के भीतर,

कर प्रणाम सीता मैया को पाया आर्शीवाद,

अजर, अमर, गुणनिधान होने का,

चल पड़े हनुमन्त,

ले नाम श्री राम का।


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