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Uma Pathak

Classics

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Uma Pathak

Classics

बारिश की बूंद

बारिश की बूंद

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बारिश की बूंद जो आँगन पर आई

उसकी सौंधी सौंधी सी महक धरती पर छाई

हर और हरियाली आई

बारिश की बूंदे जो पत्ती पर आई।


मानो उसने नई कहानी सुनाई

लगता था जैसे वह पत्ती अपनी

बिछड़ी साथी ढूंढ लाई

बारिश की बूंद जो तन पर आई

बचपन की वह मस्ती याद कराई।


वह दोस्तों का एहसास

वह गरम पकोड़े का स्वाद

चाय की चुस्की छतरी के अंदर की मस्ती

बारिश की बूंदों के साथ मनमानी

उन लम्हों की याद बहुत आती कहानी।


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