गरीबी
गरीबी
गरीबी वह बेबसी है जिससे हर इंसान जूझता रहा
कभी गम तो कभी ज्यादा घूमता रहा
दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिल पाती है
जितनी भी मेहनत कर ले घर की हालत नहीं सुधर पाती है
बच्चे तरसते किताबों के लिए उनका बचपन छीन घूमते हैं दो रोटी खाने के लिए
कोई इलाज किए बिना ही मर जाता है तो कोई हर रोज अपने ऊपर पैसा उड़ाता है
छोटे बच्चों से पूछो जिसने पकवान ना देखे हैं
और कोई ऐसे हैं जो हर रोज खाने को फेंके हैं
किसी को दवा ना मिली और कोई दारू में उड़ाता है
ऐसे ही जिंदगी किसी की बेबसी का मजाक उड़ाता है
गरीबी क्या होती है पूछो उन लोगों से
जिसने ठंडी कपकपाती रातों में जान गवाई अपनो के हाथों में
जिसने दो रोटी के खातिर गुहार लगाई अपनों से
रोटी तो मिली नहीं लात खाई लोगों
से छोटे-छोटे बच्चों ने बचपन छीना अपना
खेलकूद पढ़ाई लिखाई छोड़ काम मैं बीता बचपना।