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Sunita Maheshwari

Classics

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Sunita Maheshwari

Classics

गारेंटेड मशीन

गारेंटेड मशीन

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उपभोक्तावाद सिद्धांत हर दिन बढ़ता जा रहा

मित्रों, अब तो रिश्ता भी सामान नज़र आ रहा

योग्य वर के लिए अति सुन्दर वधू चाहिए

दहेज के रूप में वर की भी कीमत चाहिए।


घर का काम करे, रुपये उगलने की मशीन हो

सास–ससुर की सेवा करे, मिसवर्ल्ड सी हसीन हो

जहाँ जैसा हो वातावरण, वहाँ वैसी बननी चाहिए

पूजा में हो पुजारिन, डिस्को में थिरकनी चाहिए।


विविध अवसरों पर रुपये गहने उपहार लाती रहे

नई-नई कीमती वस्तुओं से सब को सजाती रहे

पुत्र जनने की मशीन हो, पुत्री न हमको चाहिए

पीढ़ियों का फिक्स डिपोजिट, घर का चिराग चाहिए।


बेटी हुई तो मशीन की सफाई करवा दी जायेगी

ममता का गला घोंट मर्यादायें भुला दी जायेंगी

अगर हुआ पीस डिफेक्टिव तो लौटा दिया जायेगा

हर्जाने के रूप में माल भी जब्त कर लिया जायेगा।


गारंटी-वारंटी कार्ड के बिना सौदा नहीं होगा जनाब

सौगातों के सर्विस कार्ड का भी किया जायेगा हिसाब

अगर न दे सकी हिसाब, तो जलाई भी जा सकती है

बात-बात पर ताने देकर सताई भी जा सकती है।


आत्महत्या अगर कर ले तो हमें न दोष देना

योग्य वर चाहिए तो भर-भर कर दहेज देना

पर साथियों ! घृणा आती है ऐसी नीच सोच पर

हृदय भर –भर आता है बेटियों की हर चोट पर।


इस बढ़ती हुई दुष्टता को सबक सिखाना होगा

सोई हुई संवेदनाओं को फिर से जगाना होगा

बेटी नहीं भोग वस्तु, बेटी का न करो अपमान

जीवन के हर रूप में कन्या का रिश्ता महान।


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