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Writer Rajni Sharma

Classics

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Writer Rajni Sharma

Classics

चलो ज़िंदगी को एक और मौका दें

चलो ज़िंदगी को एक और मौका दें

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चलो जिंदगी को एक और मौका दें 

एक बार फिर से मोहब्बत की राहों पर चलते हैं 

क्या पता इस बार सही मंज़िल मिल ही जाए 

बस इसी एक उम्मीद में निकले थे हम भी 

क्योंकि टूट कर यूँ तिनका-तिनका कभी बिखरे थे हम भी


भूल कर हर गम को फिर एक बार मुस्कुराने लगे 

मिल गया एक दोस्त हमें 

दिन-रात उससे बतियाने लगे

उसकी प्यारी बातों में हम इस कदर खो जाते थे

भूलकर होशो-हवास बस उनमें ही डूब जाते थे 

जीवन को मिली एक नई डगर, एक नया सवेरा निकला था 

नई उम्मीदों की किरणों ने, हमपर डाला पहरा था


ना जाने कैसा दौर था वो, हम समझ ही ना पाए थे

जीवन की कुछ घटनाओं से इतना जो घबराए थे 

लेकिन अब कोई डर ना था क्योंकि साथ हमारे उसका था

हर मुश्किल में हिम्मत बनक

र साया रहता जिसका था

वह दोस्त भी अब अपना ना रहा 

शायद नसीब ही हमसे रूठ गया


खुद से भी ज्यादा था किया उस पर 

पल भर में भरोसा टूट गया

ना जाने कैसी मजबूरी, ना जाने क्या लाचारी थी 

उसका भी साथ जो पा ना सके, शायद यही किस्मत हमारी थी

बस एक ही पल में हर उम्मीद हर सपने को तोड़ दिया 

जब थामकर किसी और का हाथ 

हमसे यूँ मुख मोड़ लिया


टूटे दिल के टुकड़ों को खुद ही अब जोड़ लेते हैं 

जब अकेले ही तय करना है हर सफर 

तो खुद ही अपनी राहों को एक नया मोड़ दे लेते हैं 

चलो जिंदगी को एक और मौका दें 

एक बार फिर से हँसना सीख लेते हैं 

अपनी हर एक खुशी को अब खुद से ही जोड़ लेते हैं 

चलो जिंदगी को फिर से एक नया मोड़ देते हैं...!


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