*दोगले नियम*
*दोगले नियम*
हे पाराशर ऋषि
आपने मुझमें ऐसा क्या देखा
कि मोहित हो गये
आपका बीज मेरी कोख में अंकुरित हुआ
मैं तो मत्स्यगंधा थी..
कुमारी थी...
आपने मुझे योजनगंधा का वरदान दिया।
फिर आपने मेरा कौमार्य भंग किया।
आपके अंश से मेरी कोख में एक अंकुर फूटा
महाभारत के रचयिता वेदव्यास
मेरी कोख से पैदा हुए।
कुन्ती की तरह ही मुझे भी अपने पुत्र का त्याग करना पड़ा।
शान्तनु जैसा चक्रवर्ती सम्राट मेरे रूप पर मोहित हुआ।
कहाँ मैं एक नीच कुल की कन्या
कहाँ एक चक्रवर्ती सम्राट...
इस बेमेल विवाह को तो सबने स्वीकार कर लिया।
फिर कर्ण को सूतपुत्र होने के कारण...
गुरु द्रोण ने शिक्षा क्यों नहीं दी?
क्या पुरुषों ने अपनी सुविधा के हिसाब से नियम बनाए हैं?
नहाती हुई मेनका को देखकर ऋषि विश्वामित्र विचलित हो गये,
और एक मत्स्यगंधा का जन्म हुआ।
कभी विचलित हुए तो...
एक शकुन्तला का जन्म हुआ
जिसे पैदा होते ही मेनका...
कण्व ऋषि के आश्रम के बाहर छोड़ कर चली गई।
ऋषि आश्रम में मेरा पालन पोषण हुआ।
राजा दुष्यंत मुझ पर मोहित हुए
मुझसे गन्धर्व विवाह किया।
परिणामस्वरूप मेरी कोख में...
उनका बीज अंकुरित हुआ।
दुर्वासा...
जिन्हें ऋषि कहा जाता है...
जो अपने क्रोध और श्राप के लिये विख्यात हैं,
मुझ शकुन्तला को श्राप दे डाला।
दुष्यंत के हृदय से सब यादों को मिटा डाला।
मैं शकुन्तला...
जो बड़े प्यार से...
कण्व ऋषि के आश्रम से विदा की गई थी।
राजा दुष्यंत मुझे नहीं पहचान पाए।
मैंने अपने पुत्र भरत का पालन-पोषण
जंगल में रहकर...
अपने बलबूते पर किया।
क्या किसी पुरुष में इतना बल है?
क्या वह अकेला...
अपने बच्चों का पालन-पोषण कर सकता है?
बल नहीं है ना?
फिर क्यों स्वयं को सबल कहता है?
क्यों औरत को अबला समझता है?
क्यों दोगले नियम लागू करता है??
क्या किसी पुरुष के पास
इन सब बातों का उत्तर है????
