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Vikas Sharma Daksh

Classics

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Vikas Sharma Daksh

Classics

आओ, कोई नयी बात करें

आओ, कोई नयी बात करें

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आओ कि कोई नयी बात करें,

ज़िन्दगी तुझ से फिर मुलाक़ात करें

डरे, सहमे, बेबस से अपने ख्याल,

सोच की गिरफ्त से आज़ाद करें,


कुछ बातें हो उम्मीदों की, सपनो की,

कुछ इज़हार-ए-जज्बात की,

ना-उम्मीदी के इस दौर में,

आओ, कोई नयी बात करें,


ठहरी सोच को इक नयी उड़ान दें,

खोयी हिम्मत की फिर से पहचान करें,

रोज़मर्रा की भाग-दौड़ से हटकर

आओ, कोई नयी बात करें,


कुदरत के निज़ाम का एहतराम करें,

अमन-ओ-चैन को सलाम करें,

मारा-मारी में लगी इस दुनिया में,

आओ, कोई नयी बात करें,


मज़हब से पहले इंसानियत की बात करें,

खुदा की खुदाई में इंसान की बात करें,

"ql-align-center">पीर-पैग़म्बर के जहां में इंसान बने,

आओ, कोई नयी बात करें,


एक नयी सरगम की शुरुआत करें,

मुहब्बत-ओ-इज़्ज़त की धुन का आग़ाज़ करें,

गीत नए फिजा में गूँज करें,

आओ, कोई नयी बात करें,


पुराने किस्से-कहानियों को ना दोहराया करें,

इक नए अफ़साने का आग़ाज़ करें,

लकीर से हट कर कुछ काम करें,

आओ, कोई नयी बात करें,


उम्र गुज़री बेकार बातों में,

बची हुई साँसों से तो इन्साफ करें,

ज़िन्दगी से फिर एक नयी पहचान करें,

आओ, कोई नयी बात करें,


आने वाली नस्लों के लिए मिसाल करें,

शायद, कोई हम पर भी नाज़ करें,

ज़माने को नहीं, खुद को बदल कर देखें,

आओ, कोई नयी बात करें...


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