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Vikas Sharma Daksh

Others

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Vikas Sharma Daksh

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अपेक्षा

अपेक्षा

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अधिकार से होती है अपेक्षा

अपनों से होती है अपेक्षा


क्यों उन से अपेक्षा करूँ कुछ

जहाँ न अपनापन न अधिकार कुछ


मेरे ही मानने से नहीं बनते रिश्ते

बहुत मुश्किल हैं निभाने रिश्ते


चाह होगी तो रिश्तों की उम्मीद

फिर अपेक्षाएं और उनके पूरे

होने की उम्मीद


और जब अपेक्षाएं ही पूरी न हों

किसी दिन

फिर लग जाता है रिश्तों पर

प्रशनचिन्ह


वस्तुतः अपेक्षाएं स्वयं एक प्रश्न हैं

प्रश्न रिश्ते के मायने पर है

बुनियाद पर है


क्यों इन रिश्तों में उलझ कर

रह जाता हूँ

भूल से फिर अपेक्षा कर बैठता हूँ......




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