Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vikas Sharma Daksh

Others

3  

Vikas Sharma Daksh

Others

संभल जा ... ऐ...दिल मेरे !

संभल जा ... ऐ...दिल मेरे !

1 min
237


क्यों हुआ है इस कदर परेशां,

ढूंढता फिरता है यहाँ किसके निशाँ,

इक अरसे से है हुआ तू वीराँ,

संभल जा ... ऐ...दिल मेरे !


कब तलक यूँ ही ठंडी आहें भरेगा,

पुराने ज़ख्मों को यूँ ताज़ा रखेगा,

दर्द का एहसास ना कभी मरेगा,

संभल जा ... ऐ...दिल मेरे !


बर्बादियों के सफर में उदासियाँ हज़ार,

राहे-इश्क़ में ख्यालों-ख्वाबों का खुमार,

कब तलक तू यूँ ही रहेगा सबसे बेज़ार,

संभल जा ... ऐ...दिल मेरे !


फना होती हर शह, इस जहाँ,

मारा-मारा फिरेगा तू कहाँ,

जीने के लिए ढूंढ मक़सद यहाँ,

संभल जा ... ऐ...दिल मेरे !


तन्हा ही तय करना होगा ज़िन्दगी का सफर,

ना कोई रहबर यहाँ और ना कोई हमसफ़र,

खुद से ढूंढ तन्हाइयों में अपनी डगर,

संभल जा ... ऐ...दिल मेरे !



Rate this content
Log in