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Vikas Sharma Daksh

Romance Tragedy

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Vikas Sharma Daksh

Romance Tragedy

वो यादें उनकी, वो प्यार उनका

वो यादें उनकी, वो प्यार उनका

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470

हर शाम आरज़ू कि हो दीदार उनका,

वो तलब उनकी, वो इंतज़ार उनका,


शरारती लहज़े में कहना संजीदा बातें,

वो अदा उनकी, वो अफ़्कार उनका,


चेहरे के तास्सुर से पढ़ लेना मेरा दिल,

वो शिद्दत उनकी, वो ऐतबार उनका,


बेसबब बेबाकियों में शर्माना दफ़ातन,

वो बेखुदी उनकी, वो असरार उनका,


खुद में सिमट जाना आगोश में आकर,

वो रज़ा उनकी, वो इंकार उनका,


लर्ज़िश-ए-लब बढाती वो झुकती पलकें,

वो हया उनकी, वो इक़रार उनका,


गुस्साए चेहरे पे वो गुज़ारिश भरी आँखें,

वो इल्तिज़ा उनकी, वो गुबार उनका,


तसव्वुर भर से जो जल जाता है जिस्म,

वो लज्ज़त उनकी, वो खुमार उनका,


इक उनकी शख्सियत ही ज़िंदा रखे है,

वो ज़ीस्त उनकी, वो किरदार उनका,


इश्क की बिसात पे हारा हूँ मैं हर बाज़ी,

वो चाल उनकी, वो क़िमार उनका,


'दक्ष' भला भुलाये से भी कैसे भूलूं अब,

वो यादें उनकी, वो प्यार उनका...


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