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Vikas Sharma Daksh

Others

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Vikas Sharma Daksh

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हिमपात

हिमपात

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नवल प्रातः का प्रथम दृष्टिपात,

विगत रात में हुआ हिमपात,

श्वेत है अम्बर, श्वेत है धरा,

शिशिर का प्रकृति से आत्मसात


गिरते हिमकण जैसे श्वेत कपास,

ओढ़ाते चादर मानो कर परिहास,

क्षितिज तक सब श्वेत ही श्वेत,

अंत और अनंत का नहीं आभास


हर वस्तु, हर रंग पर आवरण श्वेत,

जीवन के यथार्थ से है करता सचेत,

विगत वर्ष में देखे हैं कई उतार-चढाव,

कोरी श्वेतता करे नववर्ष का संकेत


शिक्षा थी विगत वर्ष की श्यामलता,

रहे बन प्रेरणा और सहज सजगता,

श्वेताम्बर प्रकृति का यही आह्वान,

नववर्ष में है कोरी, नूतन, नवलता


 



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