मैं इंसान नहीं
मैं इंसान नहीं
पूछ बैठा जो खुद से गर हूँ मैं इंसान नहीं,
हो सकता हूँ कुछ भी पर हूँ मैं इंसान नहीं,
जात-जमात, मज़हब-तन्ज़ीम में तक़्सीम,
आवाम में एक हूंगा मगर हूँ मैं इंसान नहीं,
दंगाई, फिरक़ापरस्त, या हूँ मैं दहशतगर्द,
शायद सियासतदान पर हूँ मैं इंसान नहीं,
फिराक़ में कि खुदा, मसीहा, शैतान बनूँगा,
अन्धों का रहबर सही पर हूँ मैं इंसान नहीं,
गरीब मजलूमों का खूँ भी पीने को हूँ तैयार,
सरमायादार समझो मगर हूँ मैं इंसान नहीं,
जिस्मों को नोचता हूँ या मौत हूँ मैं बांटता,
अस्मत-ओ-ईमान का सौदागर, हूँ मैं इंसान नहीं,
'दक्ष' जब ना सीने में दिल, ना लहू में गैरत,
तो वाजिब है ये इक़रार हूँ मैं इंसान नहीं...
