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Amit Soni

Abstract Classics Inspirational

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Amit Soni

Abstract Classics Inspirational

मन

मन

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क्यों ये मन कभी शांत नहीं रहता  ?

ये स्वयं भी भटकता है और मुझे भी भटकाता है।

कभी मंदिर, कभी गॉंव, कभी नगर, तो कभी वन

कभी नदी, कभी पर्वत, कभी महासागर, तो कभी मरुस्थल

कभी तीर्थ, कभी शमशान, कभी बाजार, तो कभी समारोह।

पर कहीं भी शांति नहीं मिलती इस मन को।

कुछ समय के लिये ध्यान हट जाता है बस समस्याओं से

उसके बाद फिर वही भागदौड़और चिंताओं भरा जीवन जीवन।

कभी अपनों तो कभ

ी अपरिचितों से मिलता हूँ 

पर सबके बीच भी एकाकीपन लगता है।

कहीं भी इस मन को शांति नहीं मिलती।

पता नहीं कब तक ऐसे भटकता  रहूँगा मैं ?

क्यों मैं सब में घुल-मिल नहीं पाता ?

बहुत भटकने के बाद जान पाया कि भटकना व्यर्थ है।

बाहर भटकने से कभी मन की शांति नहीं मिलती।

मन की सारी समस्याओं का समाधान अपने ही पास है।

अपने मन को ही जीतना होगा क्योंकि भटकना इसका स्वभाव है।

इसकी गति को नियंत्रित करके सही दिशा देनी होगी।

अपने विचारों को नियंत्रित करके अपनी सोच बदलनी होगी।

स्वयं समझना होगा कि हमें क्या चाहिये और क्या नहीं।

अपने ही प्रति सत्यनिष्ठ बनकर अपना साथ देना होगा।

विश्वास करना होगा स्वयं पर और अपनी विजय पर।

जब मन में शांति होगी तो सब कहीं अच्छा लगेगा।

कहीं और जाने की फिर कोई आवश्यकता नहीं होगी।

मन को जीतना ही जीवन जीने की सच्ची कला है।


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