Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Amit Soni

Abstract Romance Tragedy

1.7  

Amit Soni

Abstract Romance Tragedy

तुमने ऐसा क्यों किया ?

तुमने ऐसा क्यों किया ?

2 mins
1.0K


यह कविता मेरी दूसरी पुस्तक "कयामत की रात" से है जो कि एमाज़ॉन किंडल पर उपलब्ध है। 


जीवन की इस फुलवारी में, इस उम्र की चारदीवारी में।

आकर वसंत भी चले गये, पतझड़ भी आकर चले गये।

जब साथ ना सॉंसों ने छोड़ा, उम्मीद ने भी दम ना तोड़ा।

तुम हाथ छुड़ाकर चले गये, पर तुमने ऐसा क्यों किया?


जीवन बस मीठा शहद नहीं, जीवन विष का प्याला भी है

कहीं फूल बिछे हैं राहों में, कहीं पत्थर और ज्वाला भी है।

सुख और दुःख आते-जाते हैं, ढंग जीवन का निराला भी है

तुम साथ चले बस थोड़ी दूर, पर तुमने ऐसा क्यों किया ?


तुमसे किस बात का अब शिकवा, हम तुमको समझ ना पाये थे

कलियों संग भाग्य ने कॉंटे दिये, मैंने वो सब अपनाये थे।

जब अपनों ने मुझको छोड़ा, तुम अपने बनकर आये थे

फिर करके पराया छोड़ गये, पर तुमने ऐसा क्यों किया ?


यदि दुःख ही मुझको देना था, तो अपना बनकर ना देते

इतने दुःख सहे हैं जीवन में, कि थोड़े और भी सह लेते।

अपने विश्वास के दीपक से, मैं लड़ता था अंधियारों से

दीपक वो बुझाकर चले गये, पर तुमने ऐसा क्यों किया ?


मैं पुतला नहीं हूँ माटी का, जो टूटकर बिखर जाऊॅंगा

खुद को समेट लूँगा फिर से, दीपक जो बुझा जलाऊॅंगा।

छोड़ा जिस मोड़ पे तुमने मुझे, उससे आगे बढ़ जाऊॅंगा

तब तुम अतीत रह जाओगे, पर तुमने ऐसा क्यों किया ?


इस समय की अविरल धारा में, जीवन आगे ही हैं जीवन पथ में मोड़ बहुत, पर जीवन आगपर एक दिन ऐसा आता है, जीवन आईना वो आईना तुमसे पूछेगा, कि तुमने ऐसा क्यों किया।दिखाता हैे बढ़ता हैचलता है।


Rate this content
Log in