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Neerja Sharma

Classics

5.0  

Neerja Sharma

Classics

यादों के झरोंखे से

यादों के झरोंखे से

2 mins
426


23 जून 1988

मेरी शादी का दिन 

घर में चहल-पहल 

हमारी पीढ़ी में से पहला विवाह।


पूरे खानदान में 

हर घर से सब आए 

इतनी रौनक इससे पहले

कभी नहीं देखी थी।


भरा पूरा परिवार मेरा 

दादके में सात चाचा 

इकलौती बुआ जी 

सब सपरिवार आए विवाह पर।


नानके में दो मामा 

सपरिवार उपस्थित,

ये बात सगों की है

दूर के भी रिश्तेदार आए।


मित्रों-दोस्तों की तो पूछो न बात 

हर तरफ काम करने को हर कोई तैयार 

भाई व बहन के सब साथी आए 

घर की रौनक कई गुणा बढ़ाए।


पहली शादी सबमें जोश था भारी 

गिनती होती थी अगली किसकी बारी

सब एक दूसरे को आगे करते 

मौज-मस्ती एक दूसरे को खींचते।


इन सबसे ऊपर फोटोग्राफर हमारा 

भाई मेरा सबसे न्यारा 

ताजा-ताजा जापान से आया 

संग अपने बड़ा सा कैमरा लाया।


उन दिन मोबाइल भी नहीं थे हमारे पास

भाई का कैमरा सबकी बड़ी आस

हर किसी की वह तस्वीर ले रहा था 

मेरे लिए कैमरे में बंद कर रहा था।


उसे देख मेरे चेहरे पर भी 

खुशी की लहर आ जाती 

वरना अंदर से उदासी छाती 

सब की खुशी में वह दब जाती।


हर एक की तस्वीर वह संजो रहा था 

हर फैमिली पिक जोड़ रहा था 

हर पिक में मुझे ले लेता 

मानो सारा खानदान दहेज में दे रहा हो।


शादी के बाद अगले दिन जब हुआ फेरा 

तो भैया ने परिवार के सब जनों को घेरा 

दादा - दादी,माँ - पापा

बुआ - फूफा, चाचा - चाची।


नव दम्पति के साथ पूरा परिवार 

सारे बहन भाइयों के साथ 

दादके का भरा पूरा परिवार

बन गया मेरी यादों का हार।


मेरे अपने कई अब तस्वीर बन गए है

पर मेरे दिल के करीब है

जब भी देखती हूँ इस तस्वीर को 

बचपन में लौट जाती हूँ दिल से।


भैया न बनाई ये एलबम 

पूरा खानदान दे दिया मानो तोहफे में 

पहली शादी थी परिवार की 

सो सब की इसमें उपस्थिति थी।


जब भी अकेली होती हूँ 

खोल लेती हूँ ये यादों का पिटारा

जी लेती हूँ अपने एक-एक पल को 

तस्वीर में खड़े अपनों के साथ।


धन्यवाद स्टोरी मिरर 

विषय तुमने दिए 

पर मैंने जीए आज कई घंटे 

अपने लिए अपनों के साथ।


पुरानी पारिवारिक तस्वीर 

आज इस कविता से जुड़ी है 

दिल के बहुत करीब है 

मेरे भाई की सौगात है।


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