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पहला दिन

पहला दिन

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याद तो नहीं हमको वो पहला दिन

जब हम स्कूल में दाखिल हुए,

सुनी है हमने बस वो कहानियां अपनी

माँ की जुबानी,

रोना हमको आता नहीं था जनम जब हुआ तब भी ना रोये थे,


हाथ थाम कर माँ का स्कूल में रखा था पहला कदम,

कक्षा में चले गए खुशी खुशी बैठ गए,

कर ली सब से दोस्ती देखकर सब बच्चो को हुए खुश,

माँ से कहा, तुम जाओ खुशी खुशी,

नहीं लगा हमको डर जरा भी की ये कहाँ हम आ गए,


याद नहीं हमको वो दिन पर वो मंजर आॅंखों के आगे आ जाता है,

खुद पर ही फिर हमको घमण्ड थोड़ा सा हो जाता है,

यूॅं तो सताते थे हम बहुत माँ को पर पढ़ाई के नाम पर नहीं सताया,


कभी कभी याद आता है वो दिन जब कक्षा दो में थे हम,

और माँ के हाथों मार खायी थी होमवर्क पूरा ना करने की ज़िद थी हमारी उस रोज,

बस वो दिन और आज का दिन फिर नहीं कभी मारा माँ ने,


याद आ जाता है कॉलेज का पहला दिन,

जाना था हमको फर्स्ट ईयर की क्लास में,

और हम चारो सहेलिया जा बैठी थर्ड ईयर की क्लास में,

जब एहसास हुआ कि ये गलत क्लास है,

तब हम चारो निकल पड़ी फिर बाहर की ओर,


ये स्कूल-कॉलेज की यादें तो है बस अब यादें पुरानी,

किस्से बन गए है अब ये जीवन का,

जब भी फुर्सत में होते है तब याद बहुत ये आते है,

आॅंखों के सामने ये मंजर घूम फिर जाते है।


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