फ़क़ीर
फ़क़ीर


वो रोटी मांगता था
हिन्दू से ईश्वर के नाम पर
मुस्लिम से अल्लाह ! के नाम पर
क्रिश्चन से यीशु के नाम पर
सिख से नानक गुरु के नाम पर।
फलां से फलां के नाम पर
लोग सुनकर भी
ताज़्ज़ुब नहीं करते थे
बिना कुछ कहे
उसकी मांग पूरी करते थे।
एक दिन उसने कहा
ऐ आदमजादों !
मेरा ईमान पुख़्ता है
मगर तुम्हारा ईमान
कहां सोया है।
मैं तो हक़ीर फ़क़ीर हूं
फिर भी इंसानियत समझता हूं
तुम्हें क्या हुआ
जो तुम इंसान के अलावा
बाकी सब बन बैठे।
वो सीना तानकर बोला
किसको धोखा देते हो
खुद को खुदा को
या फिर मुझको।