राम शरणम
राम शरणम
बन रे मन राम चरन अनुरागी
वहीं जन नायक, वहीं सुखदायक
वहीं दुःख भंजन, परम् सुख राशि
बन रे मन राम चरन अनुरागी
मनवा भरमत फिरे जगत में
समय गंवाया अपने जुगत में
अंत समय होत जगहांसी
बन रे मन राम चरन अनुरागी
पंच तत्व काया बंधी है माया
जीवन राह में कोई न छाया
तपती है तन मन उदासी
बन रे मन राम चरन अनुरागी
कर दया धर्म, दान तू जीवों पर
पर पीड़ा है अधरम न तू वो कर
मिलेगी अनन्त सुख राशि
बन रे मन राम चरन अनुरागी
जप नाम कृपालु कमल नयन का
हरेगा वो संताप मन, त्रिभुवन का
शरण शरण हे अविनाशी
बन रे मन राम चरन अनुरागी
वहीं जन नायक, वहीं सुख दायक
वहीं दुःख भंजन, परम् सुखराशि
बन रे मन राम चरन अनुरागी।