कसीदा..सोनगिरी सरकार रे.अ.
कसीदा..सोनगिरी सरकार रे.अ.
कसीदा
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मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की ।
सरकार सोनगिरी की ,एक सच्चे पीर की ।।
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दरवेश के मैं दर का गदा हूँ इसीलिए ।
तन्हा हूँ भीड में भी जुदा हूँ इसीलिए ।।
निस्बत के फूल लेके हूँ हाजिर दयार में।
डूबा हो जैसे कतरा समंदर के प्यार में ।।
तस्वीरे यार दिल में ,सजाए हुए हूँ मैं ।
दीवाने दिल से दिल को लगाए हुए हूँ मैं ।।
ताकत नहीं कलम की,ये गुणगान कर सके।
अल्फाज़ बयां कैसे उनकी शान कर सके ।।
क्या कैद खुशबुओं को करेगा ये जमाना ।
घर जिसका हवा में है गगन जिसका ठिकाना।।
अब उनके लिये मेरे विचारों का काफिला ।
लो चल पड़ा है करने को दुर्गम फतह किला।।
ताकत सनम ने दी है, कलम जो उठाई है ।
ये प्यार सनम का है सनम से रसाई है ।।
मैं उनका चहेता हूँ ,मुझे ये यकीन है ।
दिलबर मेरा जमाने में सबसे हसीन है ।।
सरकार के करम का मुंतजिर है जमाना।
सरकार लुटाते हैं सखी बन के खजाना।।
हैं खुद सरापा नूर, उजाला है जहां का ।
आये हैं करने दूर अंधेरा ये यहाँ का ।।
मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की।
सरकार सोनगिरी की, एक सच्चे पीर की।।
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निस्बत जो रखें उनसे करें शाद जिंदगी ।
होती है उनकी दुनिया में आबाद जिंदगी।।
हर दिल में बसे हैं मेरे सरकार इस तरह।
रहती है खुशबू फूल में पेबस्त जिस तरह।।
हर आई हुई सामने उल्झन को पार कर ।
निकले हैं बोझ दुनिया का सिर से उतार कर।।
तन्हा बना लिया है जिंदगी को इसलिए ।
कोई खलल पड़े ना बंदगी को इसलिए ।।
माँ के करम का साया है अल्लाह साथ है।
दीवाने पिया का भी रहा सिर पे हाथ है ।।
दौलत मिली रूहानी सभी जान रहे हैं ।
अल्लाह के वली हैं ये, पहिचान रहे हैं ।।
है सादगी मिजाज में ,सादा लिबास हैं ।
सच्चाई कल्ब में है वो मालिक के खास हैं ।।
रब की खुशी में ही है खुशी आपकी मगर ।
मालिक से कब रही है जुदा आपकी डगर ।।
जिक्रे खुदा से प्यार है प्यारे हबीब हैं।
रब के भी वे करीब ,नबी के करीब हैं ।।
अपना पता नहीं तो जमाने से कैस डर।
अल्लाह जानता है कहाँ रहती है नजर ।।
मिदहत बयाँ मैं करता हूँ रोशन जमीर की।
सरकार सोनगीरी की एक सच्चे पीर की ।।
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आँखों में दीवाने के इश्क का खुमार है ।
दीवानगी की जिंदगी से उनको प्यार है।।
रहते हैं सरापा वो फकत यादे यार में ।
एक आशिके बीमार जैसे डूबे प्यार में।।
आसेफ भूत प्रेत ,बालाओं के सताए ।
आते हैं हाथ जोडे, बोझ गम का उठाए।।
दुखियों के दुखों में शरीक होते हैं बाबा।
अपने करम से पाप सभी धोते हैं बाबा।।
हो हिन्दू, मुसलमान कोई भेद नही है ।
मजहब की यहां कोई कहीं कैद नही है।।
यकसां है दर्द ,हो भले इंसान कोई भी ।
मालिक सभी का एक करो ध्यान कोई भी ।।
दुनिया है करामातों की दीवानी आपकी ।
है नक्श अहले दुनिया पे सुल्तानी आपकी ।।
अखलाक की दौलत है यहाँ प्यार का धन है।
आंगन में यहाँ आपके हर ओर अमन है ।।
पाई है अदा गम को मिटाने की सनम से ।
छुटकारा दिलाते रहे हैं इसलिए गम से ।।
हर ला इलाज मर्ज का इलाज यहां है ।
इस दर पे जो सुकून है, वो बोलो कहाँ है ।।
मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की।
सरकार सोनगिरी की एक सच्चे पीर की।।
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इंसान को वो दूर से, पहिचान जाते हैं।
हैं दर्द क्या किसी के सभी जान जाते हैं ।।
वो दीन के नसीर हैं रोशन जमीर हैं ।
जो पीर मिटाते हैं ऐसे सच्चे पीर हैं।।
हैं शोहरते गुलामी में, फलदार शजर हैं ।
दीवाने पिया की ये रोशनी का असर है।।
करते रहे हैं काम उसी रोशनी में आप ।
आशाईशों को छोड़ जीए हैं कमी में आप।।
नूरे खुदा की रोशनी में जब से नहाए ।
मखलूके खुदा के वो रहे दिल में समाए ।।
वेहदत के नूर से वे जगमगाए हुए हैं ।
फर्शे जमीं पे हादी बना लाये हुए हैं ।।
शौलों पे सफर करते हैं वे रात रात भर।
अम्नो अमां की होती है तभी कोई सहर ।।
आँखो से अश्क रात में हरदम बहाते हैं ।
दिन में मगर जहां के लिए मुस्कुराते हैं ।।
अल्लाह के वली है शरीयत के हैं अमीर।
दिनरात जगाते हैं वे सोए हुए जमीर ।।
सोते नही कभी भी जो ऐसे फकीर हैं।
गिरतो के हाथ थाम लें वो दस्तगीर हैं ।।
मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की।
सरकार सोनगिरी की एक सच्चे पीर की ।।
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रेहमत कदा है खानकाह भी हुजूर की ।
मखलूके खुदा आती जहां दूर दूर की ।।
दरबार कहाँ शाहों के दरबार से कम है ।
होता है जहां शहंशाहो पर भी करम है।।
यारी अजीज आपको यारों के यार हैं ।
यारी पे सदा करते रहे जां निसार हैं ।।
वो बेकसो के वाली अंधेरे मे नूर हैं।
हमदर्द यतीमों के दिखावे से दूर हैं ।।
हर काम अपने रब के लिए करते जहाँ में।
जो रब के हुआ करते कहाँ मरते जहां में ।।
मखलूके खुदा से जो मोहब्बत है आपकी।
दरअस्ल ये दौलत ही तो ताकत है आपकी।।
उठते हैं हाथ सबकी भलाई के वास्ते।
बढ़ते हैं कदम रब की रसाई के वास्ते ।।
जो गम में रहा आज तलक लोगों मुब्तिला।
आंसू न जिसका टूटा था हँसता यहां मिला।।
कुर्बान हरेक शख्स है बाबा के नाम पर।
बाबा की मेहरबानी है हर खासो आम पर ।।
क्या शाने सखावत है नजर उनकी सखी है।
हर सिम्त ढूंढती है ,कहाँ कोई दुखी है ।।
मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की।
सरकार सोनगिरी की एक सच्चे पीर की ।।
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चाहत हो जहां खुद ही चले आते हैं बाबा ।
हो धूप जहां अब्र बन, के छाते हैं बाबा ।।
खामोशियों में उनकी कई राज छिपे हैं ।
नायाब खजाने हैं तख्तो ताज छिपे हैं ।।
दुख हाथ उठा कर के सभी लेते रहे हैं ।
सदका यूं पंजतन का सदा देते रहे हैं ।।
साया हो पंजतन का यही चाहते रहे।
दरिया करम के इसलिये ही तो यहां बहे।।
चाहत यही है दिल में, मेहकता चमन रहे ।
खुशियां खडी हो द्वार पे घर घर अमन रहे।।
दुख दूर करेंगे ये मन में ठान लिया है ।
क्या मकसदे हयात है पहचान लिया है ।।
खुद को मिलाया खाक में तो आज खड़े हैं।
चौतर्फ उनकी शोहरतों के झण्डे गडे हैं ।।
हमदर्दी के सूरज का वक्त भी गुलाम है।
बस रोशनी लुटाना फकत जिसका काम है ।।
रूहानियत की धाक जमाई है दूर तक।
हक्कानियत की फर्श बिछाई है दूर तक।।
सब आप के जलवों के तलबगार रहे हैं ।
बेअत के लिए आपकी तैयार रहे हैं ।।
मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की।
सरकार सोनगिरी की एक सच्चे पीर की ।।
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बुढ़ा हो या जवान हो धनवान या फकीर ।
हर शख्स शरीयत का कहें आपको अमीर।।
इंजीनियर हो डॉक्टर हो या हो कलमकार।
खिदमत में खड़ा आपकी बन एक खाकसार।।
है लाइलाज लोगों इश्क की ये बीमारी ।
बेशक फना की राह को दुश्वारियां प्यारी।।
लेकिन करेगा इश्क ये इंसाफ दोस्तों ।
हो जाएंगी खताएं सभी माफ दोस्तों ।।
डूबोगे अकीदत में तो सुकून पाओगे ।
अपना नसीब आके यहां जगमगाओगे।।
खुशियां तुम्हें मिलेगी जिंदगी में यकीनन ।
टूटा अगर सितम भी,नही होगा दुखी मन।।
वो मौसमे खिजां में भी गुलजार रहेगा ।
खुशियों का हरेक दौर में हकदार रहेगा ।।
दीदार जो हो जाए खुश नसीबी बडी है ।
उसकी,जो नजर रोज सनम से जा लड़ी हैं।।
हो जाए करम आपका वो मालामाल है ।
जिसको करीबी मिल गई वो ही निहाल है ।।
दस्तार जिसके सिर पे चढ़ा दी है मान की।
अब फिक्र नहीं उसको है सारे जहान की।।
मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की ।
सरकार सोनगिरी की एक सच्चे पीर की ।।
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कदमों में रहे आपके दुनिया के ताजदार ।
बनके रहे हैं आप मगर फिर भी खाकसार।।
बू- ए- नबी भी आप में बु -ए -खुदा भी है ।
इस वास्ते मेहकती यहां पर हवा भी है ।।
दशपुर के पास में है सोनगिरी वो मुकाम ।
बाबा को जहां खोजते आते दुखी तमाम ।।
जो जिंदगी तू चाहे थाम ले वही दामन ।
सोना तपा तपा के बना देता जो कुंदन ।।
कदमों की धूल आपकी सर पे चढा ले तू।
इज्जत को अपनी दोनों जहाँ में बढ़ा ले तू।।
करले यकीन दिल में वो स्वीकार करेंगे ।
अपना बना के तेरा वो उद्धार करेंगे ।।
मिलती है शिफाएं जहां जाने शिफा हैं वो।
करते हैं दूर मुश्किलें मुश्किल कुशा हैं वो ।।
दौलत से दीनों दुनिया की धनवान करेंगे ।
रक्षा वो चहेतो की, निगेहबान करेंगे ।।
बाबा को मनाने से खुदा मान जाएगा ।
आएगा यहां, खुल्द में वो घर बनाएगा ।।
साकी के करम से ही सभी पार जाएंगे ।
"अनन्त"सुख के दरिया में यूँ हम नहाएंगे।।
मिदहत बयां मैं करता हूँ रोशन जमीर की।
सरकार सोनगिरी की एक सच्चे पीर की ।।
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अख्त अली शाह "अनंत"नीमच
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