तुझे पाने की चाह
तुझे पाने की चाह
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मैं जब तेरे इश्क़ मैं झूम रहा था
लोगों ने शराब का हवाला दे दिया
नशीली आँखें देखकर तुमने जब
मुझे तेरे ईश्क़ का निवाला दे दिया
अब गले से उतर रहा है शराब के बिना
एक निवाले से मेरी, मीट्टी तो नहीं भूख
बस इश्क़ के जिस थाल को चाहती है
दुनिया, मैंने तो देख लिया उसका रूख
किसी कीमत पर, मोहे पिया मिलन की आस
मैं तो क्षीण हो जाता, अगर तेरे ईश्क़ में काश
तो चाह तो नहीं रहती, ना रहता तेरा इंतज़ार
और ना रहती मेरी पल पल की खुशी उदास।