Shishpal Chiniya
Tragedy Action Thriller
ऐ जिंदगी
तेरी होड़ में शून्य हो गया,
खुद की कोई कीमत नहीं।
और जो जितना समझते हैं,
उन्हें उतना गुणा साथ मिलता हैं।
मेरे हमसफर
रस्सी
दर्द
शुन्य
ये लम्हे
ईश्क़
बारिश
बस यूं ही
जान
हद है
मुझे पता है वो अब भी मुझसे प्यार करती है। मुझे पता है वो अब भी मुझसे प्यार करती है।
बहुत मरहम पड़े हैं घरों में पर एक घाव है कोई ना भर पाया। बहुत मरहम पड़े हैं घरों में पर एक घाव है कोई ना भर पाया।
पल-पल बढ़ रही, सबको ये डंस रही. पल-पल बढ़ रही, सबको ये डंस रही.
एक तू ही तो है.. जिस पे आस लगाए सिसकियों में भी बस अब जिए जा रहे हैं, साँस लिए जा रहे एक तू ही तो है.. जिस पे आस लगाए सिसकियों में भी बस अब जिए जा रहे हैं, साँस लि...
क्यूकिं कोई अपना है वो मेरा, जो मुझे अपना नहीं मानता। क्यूकिं कोई अपना है वो मेरा, जो मुझे अपना नहीं मानता।
कागज का टुकड़ा था कभी पैसा उस हाथों के मैल से ईमान सजा रहे. कागज का टुकड़ा था कभी पैसा उस हाथों के मैल से ईमान सजा रहे.
खाकर रूखी सूखी मस्त रहा करते थे, आज खाकर पिज़ा-बर्गर गुब्बारे से दिखते हैं। खाकर रूखी सूखी मस्त रहा करते थे, आज खाकर पिज़ा-बर्गर गुब्बारे से दिखते हैं।
सच बोलें तो तुम बिन मै कुछ भी नहीं मेरे लिए हर जगह तुम ही तुम हो। सच बोलें तो तुम बिन मै कुछ भी नहीं मेरे लिए हर जगह तुम ही तुम हो।
बूढ़ी हो रही शिक्षा, डिग्री, उमर गई तेरे कारण।। बूढ़ी हो रही शिक्षा, डिग्री, उमर गई तेरे कारण।।
हां सुना था मैंने...और किया था अनसुना बिल्कुल वैसे ही...जैसे तुमने किया था। हां सुना था मैंने...और किया था अनसुना बिल्कुल वैसे ही...जैसे तुमने किया था।
बहुत बड़े-बड़े सपने थे पर उन सपनों को तोड़ दिया है मैंने। बहुत बड़े-बड़े सपने थे पर उन सपनों को तोड़ दिया है मैंने।
नफरत का षडयंत्र, समाज में जाति लाती। नफरत का षडयंत्र, समाज में जाति लाती।
परिंदे घर लौट आये तो बवाल मचा रहा यह किस आशियाने से नाता हम निभाते रहते परिंदे घर लौट आये तो बवाल मचा रहा यह किस आशियाने से नाता हम निभाते रहते
कभी सन्नाटे को चिरता, कभी भीड़ को काटता , कभी सन्नाटे को चिरता, कभी भीड़ को काटता ,
अब जो भी बचा उसमें पता नहीं चलता किसका है बेशिकवा ऐसे दोनों का प्यार मिलता जाता है। अब जो भी बचा उसमें पता नहीं चलता किसका है बेशिकवा ऐसे दोनों का प्यार मिलता जा...
वो दुर्गा है, काली है, लक्ष्मी और सरस्वती है वो समाज के लिए साक्षात् भगवती है। वो दुर्गा है, काली है, लक्ष्मी और सरस्वती है वो समाज के लिए साक्षात् भगवती है...
यकीन कैसे दिलाऊं, तुम्ही दर्द हो.. तुम्ही आराम हो तुम्ही..तो .मेरी खुशियों से भरा जाम यकीन कैसे दिलाऊं, तुम्ही दर्द हो.. तुम्ही आराम हो तुम्ही..तो .मेरी खुशियों से...
क्यों रूठा है ज़िंदगी से ! आज नुकसान तो कल नफ़ा है .. क्यों रूठा है ज़िंदगी से ! आज नुकसान तो कल नफ़ा है ..
तू चला गया तो जिंदगी ने वापस मेरे पास ना आने दिया। तू चला गया तो जिंदगी ने वापस मेरे पास ना आने दिया।
ये रिश्ते जुड़ते मुझसे, मेरा वजूद टूटता और बिखरता है। ये रिश्ते जुड़ते मुझसे, मेरा वजूद टूटता और बिखरता है।