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Shishpal Chiniya

Fantasy

4  

Shishpal Chiniya

Fantasy

मेरे हमसफर

मेरे हमसफर

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319


मेरे हमसफर बहुत दिन हो गए तुझे देखा नहीं, बहुत दिन हो गए तुझे देखा नहीं

ना तुम, तुम्हारे ख्वाब, तुम्हारी याद, बिछड़ गए, मालूम नहीं शायद हम बदल गए


पहले रोज आती थी तेरी याद, तेरे ख्वाब मालूम नहीं कब बदल गए हम

लगता था जिस मोड़ जिस दिन हम बदलेंगे पूरी कायनात बदल जाएगी 

तुम बदल गई, हम बदल गए, कायनात को मालूम नहीं कब बदल गए हम

रोज ख्वाबों में धुंधला होता जा रहा तेरा चेहरा रोज यादों में मिट रहा चेहरा


मालूम नहीं क्या हो रहा है, हमारे साथ दिल है कभी मासूम बनकर रो लेता है

तो कभी समझदार बनकर हंस लेता है, कभी समझदार बनकर रो लेता है तो

कभी मासूम मर कर हंस लेता है, शायद दिल को मालूम नहीं कब बदल गए है


बिगड़ गया मेरा सफल, बदल गए मेरे हालात बदल गई मेरी तबीयत मालूम नहीं।

कब बदल गए सोचा, तुम्हें याद आते होंगे, हम सोचते हैं तेरे ख्वाबों में आते होंगे

सोच रहे हैं कभी तुमसे भी मिलेंगे, सोचते है कभी तुम भी हमसे मिलना चाहोगी

मिलने की सोचते ही बदल गया, शायद सोच को मालूम नहीं कब बदल गए हम


सोच रहा था तुमसे मिलना चाहता हूँ, सोच रहा हूँ तुमसे मिलना चाहता हूँ

तुम हमसे मिलना चाहते हो मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ तुम मुझे देखना चाहती हो


मैं तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ, शायद तुम मेरा अहसास करना चाहती होगी 

ये अहसास जो तुम चाहती होगी, इस अहसास को मालूम नहीं बदल गए है हम

याद होगी तुम्हें भी बड़ी हसीन, बड़ी रंगीन, बड़ी खूबसूरत दुनिया थी हमारी


तुम बदले हम बदलेंगे, बदलते बदलते न जाने कब ऐसी दुनिया में आ गये है हम

इतनी अच्छी दुनिया में हम खुश थे, और इस दुनिया में भी शायद हम होंगे

दुनिया भी बदली, हम भी बदले, तुम भी बदले मालूम नहीं कब बदल गये हम


हालात कुछ भी हो फर्क नहीं पड़ता, रोज कहते थे ना तुम भी और मैं भी

हालात कुछ भी हो फर्क नहीं पड़ता, रोज कहते थे ना तुम भी ओर हम भी।


वक्त गुजरा, अच्छा था या बुरा, हालात बने अच्छे थे या बुरे, जो भी था जैसा

हालात के साथ बदल गए, शायद हालत को भी मालूम नहीं कब बदल गए हम


मुझसे रूठा सा रहता है दिन का हर लम्हा, तेरे बगैर मैं रूठा सा रहता हर लम्हे से।

तेरे बगैर  हर रोज कहता था, नहीं जीऊंगा, तुम भी हाँ में हाँ मिलाती थी कभी 

कहती थी तुम तेरे बगैर जी नहीं लगता, मुझे आज सब कुछ लगता है सुना सा

ना तुम रूठे, ना मैं रूठा ना लम्हा, शायद हमें भी मालूम नहीं कब बदल गये हम


सफर था अधूरा रह गया हमसफर था बिछड़ गया, एक ही रास्ते पर चल रहे थे

हम बातों ही बातों में सफर अधूरा और हमसफर पूरा मालूम नहीं कब बदल गए।

      


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