मेरी माँ
मेरी माँ
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मैं जब भी रोया मुझे हसाया मेरी माँ ने,
मैं जब भी रूठा मुझे मनाया मेरी माँ ने !
जब भरोसा ना हो मुझ पर किसी और को,
तब भी भरोसा दिखाया मेरी माँ ने !
नजाने खुद कितने बोज लेकर सो जाती है,
मगर हमेशा मुझे चैन की नींद सुलाया मेरी माँ ने !
कभी हताश होकर जो आँखें नम हुई हो मेरी,
मेरा हर आँसू मिटाया मेरी माँ ने !
खुद सारे कष्ट जेलकर दूसरो को खुश रखना,
सचमुच खुशियाँ बाँटना सिखाया मेरी माँ ने !
मेरी माँ की वजह से ही हूं मैं जो कुछ भी हूं,
मुझे मुझसा बनाया मेरी माँ ने !
इससे बढ़कर तोह्फा और होगा भी क्या,
मेरी माँ बनकर मुझे जो दिया मेरी माँ ने !