प्यार बेहिसाब बनके आ
प्यार बेहिसाब बनके आ
मेरी रातों का तू ख्वाब बनके आ,
मेरी ज़िंदगी में आफताब बनके आ..!
जिसे पढ़कर मैं भी सीख जाऊ प्यार करना,
मोहब्बत की ऐसी कोई किताब बनके आ..!
मैं भी तन्हा और बेसब्र सा बैठा हूं,
तू भी थोड़ी बेताब बनके आ..!
जो जुड़ जाए उम्रभर मेरे नाम के साथ,
एक ऐसा ही खिताब बनके आ..!
अपनी खुशबू से मेहकादे मेरे दिल को,
मेरे दिल के आँगन में गुलाब बनके आ..!
मैं तो सितारा था चमक गया आसमान में,
अब तू भी तो मेरा महताब बनके आ..!
आकर खुशियों के रंग भरदे जीवन में,
गमों को बहा ले जाए वो सैलाब बनके आ..!
कब तक तरसता रहूं मैं मरुस्थल में,
प्यास बुझाने अब तो आब बनके आ..!
तुम्हारी याद में न जाने कितने खत लिखे तुमको,
अब तो उन खतो का जवाब बनके आ..!
यूं हिसाब की मोहब्बत तो सबसे मिली मुझको,
तू अब बस प्यार बेहिसाब बनके आ..!