STORYMIRROR

Mital Gojiya

Classics

4  

Mital Gojiya

Classics

वो रात कृष्ण जन्म की

वो रात कृष्ण जन्म की

2 mins
279

मथुरा मे जनम लैये छोरा एक चकोरा

गोकुल आवे लाँघ के यजुना का जल जोरा।


चरण अंग कराके करें यमुना पावन

बादल गरजे बिजली कड़के बरस रहा है सावन।


यमुना दो भाग में बटे जाने को यदुनन्दन

गोकुल जावे लल्ला बनने को यशोदा नन्दन।


मध्य रात्रि गोकुल में जैसे भई भोरा

थनके नाचे हर्षित वन के सब मोरा।


लल्ला देख दूध बहावे गोकुल की सब गैया

बिस्तर पर लल्ली संग सोइ है मैया।


पिता आवे गोकुल कान्हा के प्राण वास्ते

नंदजी लल्ली लावे चलके थोड़ा आस्ते।


कान्हा सौंप कर वासुदेव मथुरा लौट जावे

पर लल्ली के प्राणो की चिंता उन्हें सतावे।


भोर भए कंस मामा आवे जेलखाने

दे रहे बहना को अनगिनत ताने।


लल्ली को छीन लिया देवकी के हाथ से

मारने भांजी को अपने क्रूर हाथ से।


देवीरूप लिए भांजी पहोची आकाश में

ना आई अधमी मामा के पाश में।


बोली देवी कंस से में हु विंध्यवासिनी

कभी न बांध पाओगे मुझे अपनी पासिनी।


काल तेरा जनम लिए पंहुचा कही और है

उसके ही आने का प्रकृति में शोर है।


जीवन का अंत तेरा अति निकट है

मृत्यु समय हाल तेरा विकट से भी विकट है।


जब बुलावेगी उसको माँ बाप की दुहाई

तेरे अंत केलिए आएगा मेरा भाईbl


कहके देवी आसमान में हुई अंतरध्यान

विंद्याचल में जाके हुई विद्यमान।


गोकुल में उत्सव का अवसर है आया

खुशियाँ का मेला नंद के घर छाया।


सोने के पालने में लालो है सोयो

नन्द जी के घर आज आंनद है भयो।


उड़े है अबिल और ग़ुलाल की बौछाले

दान हुई ब्राह्मण को सो सो गौशाले।


गोपीया ले रही लाला की बलैया

कान्हा की नजरे उतारे है मैया।


यशोदा की गोद में खेल रहे कन्हैया

यह सुख को तरस ते है देव और देवियाँl


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics