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अच्युतं केशवं

Abstract

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अच्युतं केशवं

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माँ

माँ

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पिघले नहीं स्वयं निज जल में,

एसी कोई बर्फ़ नहीं है।


भले विषैला होले जितना,

मनुज मनुज है सर्प नहीं है।


तेरी गोदी एक चरण धर,

मैं वामन से विष्णु हो गया,


तेरे सन्मुख झुक न सकूँ मैं,

इतना मुझमें दर्प नहीं है।


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