मैं वो शायर हूँ
मैं वो शायर हूँ
मैं वो शायर हूँ, प्रेम पर लिखा,
सुख दुःख पर, भी लिखता हूँ।
हर एक विषय, पर लिखता हूँ,
सच व झूठ पर, सादगी पर भी।
पवित्र चरित्र है, वफ़ा व दग़ा है,
मैं वो शायर हूँ, नारी पर लिखूँ।
हर नारी देवी है, तो सम्मान करें,
नारी ममतामयी, इबादत करना।
बचपन पर लिखूँ, अच्छा लगता,
बचपन में दोबारा, न जा सकता।
मेरी शायरी में भी, दर्द व दवा है,
मेरी शायरी में भी, हास्य व्यंग्य है।
