कोमल नारी
कोमल नारी
रूप लावण्य से भरी हुई,
वह सुंदर सी कोमल नारी,
अंग अंग से झलक रहा है,
बढ़ते यौवन की निशानी।
हिरनी जैसी चाल है उसकी,
नागिन सी बल खाती,
कोयल जैसी मधुर है वाणी,
है चंचल नयनों की रानी।
संगमरमर सी देह हैं उसकी,
गुलाबी रंगत है छाई,
देख उसे आह निकलती,
सभी बनना चाहें परछाईं।।
