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ऐ कामिनी

ऐ कामिनी

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जग कहता, ऐ कामिनी तुम उड़ ना पाओगी।

संघर्षों के रास्ते तुम पार कर पाओगे।

उबड़ खाबड़ कांटो के पथ को।

ऐ कामिनी तुम पार कर पा ओगी।

कदम कदम पर अंगारे हैं।


ऐ कमीनी,,,,,,,,,

क्या तुम अंगारों पर चल पाओगी। 

खींचेगी यह दुनिया पीछे।

ऐ कामिनी,,,,,,,,

क्या तुम आगे दोड पाओगी।


ठाना है ,अब मैंने भी।

संघर्षों से लड़ना होगा।

बांध कफन सर पे।

हर चुनौती से लड़ना होगा।

प्रेम में प्रियतम की कामिनी हूं।

जिद पर आ जाऊं,,,,,,

 

मां भवानी हूं,,,

काल में कहां दम है।

राह रोके मेरी।

काल के ललाट पे।

पथ अपना बनाऊंगी।

जीत के झंडे,,

चांद पर लहरऊंगी।


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