गर्मी
गर्मी


शब्द अंतिम जब मान
लिखना है मुश्किल बड़ी
आप लीजिए जान
गर्मी भी सिर पर पड़ी
छतरी लो अब तान
पड़ रही अब धूप कड़ी
कब है जाने आय
जल के बूंदों की लड़ी
सूख गए हैं सब ताल
गर्मी जो बढ़ गई
बिगड़े है सबके हाल
बिजली जो गुल हुई
बदलकर यहाँ अब चाल
न बनो तुम अनछुई
धूप से हैं गाल लाल
धूप क्यों यूँ चढ़ गई।