प्रकाश पुंज
प्रकाश पुंज
अबाध अंधकार है, सुज्ञान से मिटाइये
समस्त विश्व में प्रभा प्रकाश ही जलाइये।
उड़ान की नयी ज़मीन है तुझे पुकारती
विदग्ध हौसलें असीम योग्यता निहारती।
उठो, बढ़ो, लड़ो मशाल हाथ में लिए सभी
सवाल माँगता जवाब, जख्म है हरा अभी।
सपूत भारती सदैव सत्य को पुकारते
अदम्य जोश से जवान देश को सँवारते।
बही यहीं सुसभ्यता, यही प्रकाशपुंज हैं
नवीन दिव्यता लिए यहाँ सभी निकुंज हैं।
