प्रेम सुधा में सुध बुध भूले
प्रेम सुधा में सुध बुध भूले
बीती रात कमल दल फूले
प्रेम सुधा में सुध-बुध भूले।
अनुरक्ति के मृदु-सरि तट पर,
प्रियवर तेरी बाट निहारे।
मन की सुधियाँ देखो तो फिर,
हर-क्षण, हर-पल तुझे पुकारे।
प्रीत की सुरभित वल्लरी पर,
डाले सजन नाम के झूले।
बीती रात....।
अम्बर के नीले पातर पर,
देखूँ तुझ संग तुहिन तारे।
धवल चाँदनी के आँगन में,
सच हो सब मृदु स्वप्न हमारे।
बन राधा अपने मोहन की,
नाम जपूँ शुचि यमुना कूले।
बीती रात...।