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Pratibha Garg

Inspirational

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Pratibha Garg

Inspirational

गुरु आभार -दिव्य ज्योति तब गुरू नाम की, जीवन बोध कराती है

गुरु आभार -दिव्य ज्योति तब गुरू नाम की, जीवन बोध कराती है

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अज्ञानी के गहन तिमिर की, जब-जब बदली छाती है।

दिव्य ज्योति तब गुरू नाम की, जीवन बोध कराती है। 

जीवन के इस दुर्गम पथ पर, गुरुवर राह दिखाते हैं। 

गुरू- वचन तब शुभाशीष सम, नैया पार कराते हैं। 


प्रथम गुरू माँ ही होती हैं, हरपल हमें सिखाती हैं। 

सच- झूठ का भेद क्या होता, माँ ही हमें बताती हैं। 

जीवन का पहला अध्याय सुन, माँ हमको समझाती है। 

दिव्य ज्योति तब गुरू नाम की, जीवन बोध कराती है। 


विकट समय किस पथ को चुनना, गुरुजन ही समझाते हैं। 

मोक्ष- राह के शुचित द्वार पर, गुरू हमें पहुँचाते हैं। 

परंपरा गुरू- शिष्य की अब, पुन संचित करवाते हैं। 

परम गुरू और सच्चे शिष्य, ईश कृपा मिलवाते हैं। 


युगों- युगों तक गुरू कृपा से, उपकृत देश की माटी है 

दिव्य ज्योति तब गुरू नाम की, जीवन बोध कराती है।


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