कोरा कागज़
कोरा कागज़
कोरा कागज़ यह, मेरा साथी बन गया
मेरे सुख और दुःख का, हमसफर बन गया
इसपर लिखा हुआ लब्ज, आखिर पैगाम बन गया
अपने लिये बनाया जो लायला, दस्तूर बन गया
कागज़ पर खिंची लकीर, जैसे मुक़द्दर बन गया
मिट ना जाये कभी, बचाना मेरा धर्म बन गया
मन की बातें कहने का, आसान जरिया बन गया
कागज़, कागज़ न रहा, दिल का आईना बन गया
दिखने में छोटा टुकड़ा, जिंदगी का हिस्सा बन गया
बाँध ना सके जिसे कोई, मन की उड़ान बन गया
भावनाओं का मेल हुआ, पन्ने से पन्ना जुड़ता गया
खबर ही नहीं हुई कब, खूबसूरत सी किताब बन गया।
