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Shubhra Ojha

Abstract

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Shubhra Ojha

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कठपुतलियां बोलती है

कठपुतलियां बोलती है

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कुछ यूँ हुआ आज, 

कठपुतलियों ने दिल को चुरा लिया,

मन मोह लिया

अगले ही पल ख्याल आया, 

कठपुतलियां तो बेजान होती है,


तो ये ज़हन में क्यूँ उतरने लगी 

और ये क्या जादू होने लगा 

शायद कोई करिश्मा हो ? 


या किसी का जुनून ?

करिश्मा तो परियों के

देश में ही होता है

यहां तो जुनून, जज्बा ही

जिंदगी डाल सकते हैं,


बेजान कठपुतलियों में

किसी के कल्पना कि उड़ान ही 

जिंदगी को रोचक बना सकती है

'शुभ्रा' क्या ये तुम भी कर सकती हो ? 


शब्दों का जादू चला सकती हो ?

हाँ क्यूँ नहीं

शब्दों की उड़ान मैं भी

भर सकती हूँ,

बना कर शब्दों का इन्द्रधनुष, 

आसमां पर छा सकती हूँ।


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