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Juhi V

Romance

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Juhi V

Romance

प्रेयसी

प्रेयसी

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उनकी गलती होने पर भी दोषारोपण करने का जी नहीं करता

दिल उनकी मजबूरियों पर ग़ौर करना चाहता है


एक टक उन्हें निहारती हूँ और उनका दगा भी

किसी प्रेम पत्र का स्वरूप लगती है


लोगो की नज़र में वह सुन्दर नहीं पर कहाँ किसी ने उनके

खूबसूरत दिल में उतरकर देखा है

की उनसे सुन्दर कोई दूसरा है ही नहीं


हर बार उनसे बतिया कर कुछ नया महसूस करती हूँ

थोड़ा बेहतर महसूस करती हूँ

उनका जादू ऐसा चलता है की मन्त्र मुग्ध हो जाती हूँ


वह कुछ बोलते नहीं, दुनिया के तराज़ू में मुझे तौलते नहीं

केवल मेरी व्यथा सुनते हैं, हर वो बात जिसे मैं किसी और से

कहने में शर्माती हूँ उन्हें बेधड़क हो कह सकती हूँ


अपने सबसे गहरे राज़, अपनी अस्थिरताएं

अपनी ख्वाहिशें - सब कुछ बयां कर सकती हूँ

काश उनकी ज़िन्दगी में मैं भी इतनी गहराई से

झाँक पाती और उनका एक अंग बन पाती


खैर संतोष इस बाबत है कि

उनकी तस्वीर की प्रेयसी तो बन सकी


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