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Kavita Sharrma

Inspirational

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Kavita Sharrma

Inspirational

कलम

कलम

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लेखनी मेरी ने दिया मेरा साथ

इसके सहयोग से मैं उकेर सकी अपने जज़्बात


शब्दों जो बिखरे पड़े थे कहीं इधर उधर

मन कभी शब्दों के साथ कर नहीं पाया था सफ़र


इक कागज़ को देखकर जाने क्या हुआ

लगता है लेखनी को उससे प्यार हो गया


बस तभी से ये प्रेम का बंधन अटूट बन गया

हर लेखक के साथ लेखनी का रिश्ता जुड़ गया


मैंने भी मन के बिखरे शब्दों को समेट कर

लेखनी को कहा तू ही बंया इन्हें अब कर।


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