दोस्ती
दोस्ती
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कागज़ कलम
और स्याही की
दोस्ती आज भी
याद आती है !!
वह स्याही के धब्बे ,
वह कलम की सुंदर
लिखावट क्यो आज
कहीं भी नजर नहीं आती ?
दो उंगलियों के बीच
चिपकी हुई कलम
कब गिर गई,
क्यो किसी को
नज़र नहीं आती !!
तरसते है लोग हाथ
की सुंदर लिखावट
को देखने के लिए ,
क्यो कहीं भी अब
वह नजर नहीं आती ?
सख़्त हो गयी हैं
उंगलियाँ, टच सक्रीन
को दबा दबा कर ,
उंगलियों की नज़ाकत अब
कहीं नज़र नहीं आती !
एक दास्ताँ बनकर
रह गई है कागज़,
कलम और स्याही की
दोस्ती जो
अब कहीं नजर नहीं आती !!
