ठीक मंजिल के सामने, आकर वो बहक गया। ठीक मंजिल के सामने, आकर वो बहक गया।
सब के मन को भाती तितली। सब के मन को भाती तितली।
हर युग के प्रताड़ित महिलाओं-सा मेरे घर में एक महिला आती है। हर युग के प्रताड़ित महिलाओं-सा मेरे घर में एक महिला आती है।
झाड़ू के ग़ुबार में कब तक उड़ाती रहोगी मन के उदगार माँ ! झाड़ू के ग़ुबार में कब तक उड़ाती रहोगी मन के उदगार माँ !
चले चलो- चले चलो, तुम नेक राह को घेरे।। चले चलो- चले चलो, तुम नेक राह को घेरे।।
ढलती सांझ की रक्त लालिमा ख्वाब सुनहरे ले आती झिलमिल करती रजत थालिका नित्य विभावरी भर लाती ढलती सांझ की रक्त लालिमा ख्वाब सुनहरे ले आती झिलमिल करती रजत थालिका नित्य विभ...