गरीब महिला
गरीब महिला
मेरे घर में एक महिला आती है
22 बरस की उम्र है उसकी
ऐसा वह बतलाती है
मेरे घर में एक महिला आती है
गरीब कुल की कन्या है वह
विरासत में ढेरों अपमान मिला है
365 दिनों के सभी पहर में ,
आंसुओं का वरदान मिला है
घर-घर की बासन मांजती है
तब दो जून की रोटी का,
उसे सौभाग्य मिला है !
मेरे घर में एक महिला आती है
एक पिया भी है उसका
जिसको निकम्मेपन का,
आशीर्वाद मिला है
शायद धन के अभाव से,
जीवन भर का विषाद मिला है !
मेरे घर में एक महिला आती है
दो पुत्री एक पुत्र है उसके
आंखों में देखो तो समझो
ढेरों प्रश्न बिखरें हैं उनके
एक सुबह में कई रातें ,
और एक रात में कई सुबह को ;
वे अपने जिस्म पर समेटे घूमे !
मेरे घर में एक महिला आती है
उसके अगल-बगल के मकानों में
कुछ नरभक्षी रहते हैं
अपने जहर उगलती लफ्जों से,
उसके चरित्र को चुनौती देते हैं
ना जाने कई परीक्षा वह,
अपनों के बीच देती है
फिर भी एक और परीक्षा,
नई सुबह उसे सौंप देती हैं !
मेरे घर में एक महिला आती है
हर युग में एक सीता जन्मती हैं
अपने कुल वंश के खातिर,
अनगिनत पीड़ाएं झेलती है
आंखों में बसे कई सपने को वह,
कहीं श्मशान में फूंक देती हैं
खाक हुए अपने सपनों से,
अपने लोगों के आंगन लिपती है !
मेरे घर में एक महिला आती है
जीवन के सवेरे में,
सांझ कब हो जाती है
हर युग के एक सीता,
ये समझ न पाती है
हर परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर भी,
कई सवाल उसपर उठ जाती है !
हर युग के बेढंगेपन को,
झेलते-झेलते हर युग की सीता;
वसुधा की गोद में सो जाती है !
हर युग के प्रताड़ित महिलाओं-सा
मेरे घर में एक महिला आती है।
