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Kanchan Hitesh jain

Drama

3  

Kanchan Hitesh jain

Drama

नई सुबह

नई सुबह

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तू रुक मत, तू झुक मत

तू आगे बढ़ा चला।

है राह यह कठिन मगर,

तू डर मत, तू थम मत

तू चला चल, तू बढ़ा चल।


मुश्किलों से भागकर,

जो इसां ठहर गया,

ठीक मंजिल के सामने,

आकर वो बहक गया।


तू हौसले बुलंद कर

तू भूल मत, तू चूक मत।

हर अंधेरी रात बाद,

आती एक नई सवेरे,

तू चला चल, तू बढ़ा चल।


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