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Kanchan Hitesh jain

Others

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Kanchan Hitesh jain

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चलो एक बार फिर...

चलो एक बार फिर...

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चलो एक बार फिर

बनकर बच्चे बचपन ढूंढते हैं,

जहाँ न हो कोई गम

सुकून के वो पल ढूंढते हैं,

छूट गये जो दोस्त यार

उनके घर ढूंढते हैं,

बचपन की गलियारों का

वो शहर ढूंढते हैं,

बचपन के खेलों का

वो मंजर ढूंढते हैं।


चलो एक बार फिर..


उम्र बीत गई सारी

कमाने और बचाने में,

दिन रात एक कर दिया

हमनें जिंदगी बनाने में,

खो गई हैं

मुस्कान जहाँ,

वो जगह ढूंढते हैं।


जहाँ न हो कोई दर्द

ऐसी डगर ढूंढते हैं,

जीने की एक बार फिर

फिर वजह ढूंढते हैं।

चलो एक बार फिर...


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