हां मैं नारी हूं
हां मैं नारी हूं


तमाम कोशिशों के बावजूद भी
जब कभी मैं हार जाती हूँ।
मैं रुकती नहीं, थमती नहीं,
बस आगे बढ़ती जाती हूँ।
हां मैं नारी हूं
तर्क की कसौटी पर
हर बार कसी जाती हूँ।
मैं डरती नहीं, निखरती हूँ,
फिर से संवर जाती हूँ।
हां मैं नारी हूं
जीवन के चक्रव्यूह में
हर बार पिसी जाती हूँ।
मैं गिरती हूँ, उठती हूँ,
फिर से संभल जाती हूँ।
हाँ मैं नारी हूँ।