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Kanchan Hitesh jain

Others

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Kanchan Hitesh jain

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जब हम बच्चे थे

जब हम बच्चे थे

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जब हम बच्चे थे ,टाफियों से खुश होते थे

अब ट्राफियों से खुश होते हैं।

जब हम बच्चे थे दौड़ को खेल समझते थे

अब दौड़ को जिंदगी समझने लगे हैं।

जब हम बच्चे थे बेवजह हंस लेते थे

अब हंसने के लिए भी वजह ढूंढते हैं।

जब हम बच्चे थे रोकर जीत जाते थे

अब जीतने के लिए रोते हैं।

जब हम बच्चे थे बिन सोचे समझे बोल देते थे

अब तोल मोल के बोलने लगे हैं।

जब हम बच्चे थे जल्दी से बड़ा होना चाहते थे 

अब एक बार फिर से बचपन 

जीने के लिए तरसते हैं।


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