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Pooja Agrawal

Inspirational Others Children

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Pooja Agrawal

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बचपन के दिन

बचपन के दिन

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बचपन की अनूठी यादें

अंतर्मन में सजती हैं

जब निर्जीव सा हो जाता है मन

उर्जा भर देती हैं

भाई के साथ शैशव मेरा ,

हर पल बिताया अद्भुत था।

यादों की अगर गठरी खोलो,

कई प्रसंग छा जाते हैं।

कुछ ले आते होठों पर मुस्कुराहट,

कुछ आँखें भर जाते हैं

याद है वह मुझ को दिन।

जिस दिन हम दोनों,

पिताजी के दफ्तर गए

घर पर आते ही याद आया ,

"किताब रह गई वहीं पर मेरी,

बहुत जरूरी होमवर्क मिला था,

मारेगी अब टीचर मेरी।"

आँख में पानी भरकर ,

भाई को बताया,

कहते ही उसने खूब रुलाया,

"अच्छा है, जीजी डांट पड़ेगी,

तभी तुम को समझ में आएगा,

मम्मी पापा गुस्सा करेंगे,

मुझ को बड़ा मज़ा आएगा।"

मन मसोस कर बैठ गई मैं ,

दफ्तर इतनी दूर है पापा का,

अब क्या कर सकते हैं?

रात को पापा लेट आएँगे

तब तक हम कहां जगते हैं।

थोड़ी देर में घर में हल्ला,

सुनकर मैं कमरे से बाहर आई,

मां ,दादी ,भाई को ढूंढ रही थी

"क्या तुम दोनों में हुई लड़ाई?"

"नहीं मां, नहीं मां ,

ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था"

"फिर क्या हुआ ?जल्दी बताओ

तुम यूं ना पहेली बुझाओ"

सारी बात झट से बोल गई

डरी, सहमी सकपकायी सी।

मां के मन में विचार कौंधा

भाई की ट्राई साइकिल गायब थी

"कहीं वह दफ्तर तो ना चला गया?"

सोच सोच मां घबराई थी,

"कितना दूर दफ्तर है, 

क्या उसको रास्ता याद होगा?

ऊपर से रास्ते में कितनी गाड़ियाँ चलती हैं।

नन्हे से मेरे बच्चे का,

ऐसे में क्या हाल होगा?"

तभी घंटी बजी फोन की,

दौड़कर मां ने रिसीवर उठाया,

"बेटा तुम्हारा सकुशल है"

पिताजी ने ढांढ़स बंधाया।

थोड़ी देर में पिताजी, भाई को ,

साथ लेकर  घर आ गए,

हमारे भैया हीरो बनकर छा गए।

मां ने मां ने गुस्से में बोला, 

"तुमने ऐसा क्यों किया?"

"जीजी बहुत दुखी थी,

उसकी किताब वहीं थी।

जो समझ में आया किया,

आपको अगर बताता तो,

आप नहीं जाने देती।"

देखकर उसका प्यार अनोखा,

मन भाव विभोर‌ हो गया।

दौड़ कर उसको गले लगाया,

"आगे से ना ऐसा करना

जो होना था हो गया।"

याद करके उस दिन को,

हम दोनों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

आंखों में नमी आ जाती है,

हम मंद-मंद मुस्काते हैं।

भाई -बहन का अनूठा रिश्ता,

जग में सबसे निराला है।

कच्चे धागे से बंधा हुआ,

प्रशस्त ,अद्भुत और प्यारा है।


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