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Dr Priyank Prakhar

Children

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Dr Priyank Prakhar

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पापा मेरे मस्त कलंदर

पापा मेरे मस्त कलंदर

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ऊपर सख्त अंदर नरम, गुस्सा ज्यादा बातें कम,

ऐंठी मूंछें, सोंचे हम, ऐसे क्यूं होते पापा हरदम।


पापा है जब भी घर आते, हम तो है झट से छुप जाते,

जब है वो डांट लगाते, लगता भूले सब रिश्ते नाते।


करते हम मां की नाक में दम, आते पापा पड़ती धम-धम,

लगता जैसे हो फूटे बम, हाय कहां ये फंस गए हम।


कभी आयरनमैन बन जाते, कभी दुनिया की सैर कराते,

पापा जब भी बाहर जाते, चॉकलेट आइसक्रीम है लाते।


अच्छी अच्छी बात बताते, मस्ती भी है हमें कराते,

जूडो कराटे हैं वो सिखाते, वीर बहादुर हमें बनाते।


हो पापा साथ अगर, नहीं लगता मुझको कोई डर,

ऊपर सख्त नरम है अंदर, पापा मेरे मस्त कलंदर।


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