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Rekha Joshi

Children Stories

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Rekha Joshi

Children Stories

बाल कविता

बाल कविता

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चलो आज आसमाँ की 

करते हैं सैर

बादलों के रथ पर 

हो के सवार,

निकल पड़े नन्हें मिया 

थाम किताबें 

सीढ़ी से पहुँचे

चंदा के द्वार,

देख अद्भूत नजारा 

गगन का 

हुआ दिल बाग बाग 

क्या सुहाना था मौसम, 

मुस्करा रहा था चांद 

चाँदनी रात और शीतल हवा 

कितना सुन्दर था सपना सुहाना, 

खुल गई नींद लेकिन 

आँखों में अभी भी थे वो 

सुन्दर नजारे, 

वो बादल, आसमाँ 

और 

मुस्कराता चांद! 




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