धूप छाँव से सजा जीवन
धूप छाँव से सजा जीवन
वक्त की धारा बन
बहता रहा जीवन यहाँ
युगों युगों से इस धरा पर
रात दिन छलते रहे
और जीवन क्रम यहाँ
चलता रहा निरंतर
आते जाते है मुसाफिर
हर पल हर क्षण यहाँ
है कहीं पर हास और
रूदन है कहीं पर
गागर ख़ुशी से है भरी
कहीं अश्रुओं से कलश
धूप आँगन में खिली
घने छाये कहीं पर घन
फिर भी यहाँ पर
धूप छाँव से सजा जीवन
है बहुत अनमोल
आओ जी लें यहाँ
हर ऋतु हर मौसम
हँसने के पल पाकर हँस ले
और रोने के रो कर
दो दिन के इस जीवन का
जी लें हर पल हर क्षण