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Rekha Joshi

Others

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Rekha Joshi

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बादलों के रथ पर हो के सवार

बादलों के रथ पर हो के सवार

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बादलों के रथ पर हो के सवार

उड़ी उड़ी आज आसमां  के पार


भीगा भीगा  सा है  देखो गगन

ओस की बूँदों से निखरा उपवन

खिले फूल औ भंवरों की गुंजन

अद्भुत  नजारों  से  झूमे  संसार


रूप अनोखा समाया कण कण में

भर  दी उमंग मेरे तन बदन में

झूम  के निकली सवारी गगन में

सतरंगी किरणों ने किया सत्कार

बादलों के रथ..


आलौकिक छटा मुग्ध हुआ मनुआ

बिखरा प्रकृति का हर ओर जलवा

जल भर  लाई संग आज पुरवा

सिहर उठ तन चली शीतल बयार

बादलों के रथ.


अरुण की रश्मियां थिरकती जाएँ

झूला   झूलाएँ    मस्‍त    हवाएँ

नील गगन पर झूम  झूम गायें

पंछियों की लंबी  सुन्दर कतार



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